SHC : 19 फरवरी, 2015 को राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले के सूरतगढ़ में शुरू हुई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का लक्ष्य है ‘स्वस्थ धरा, खेत हरा’। इस योजना का काम है किसानों और ग्रामीण युवाओं को बल देना। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में उर्वरकों की फसलवार सिफारिशें मुहैया कराई जाती हैं और इसके साथ ही किसानों को यह भी बताया जाता है कि कृषि भूमि की उर्वरा क्षमता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है। इससे किसानों को अपनी भूमि की सेहत जानने तथा उर्वरकों के विवेकपूर्ण चयन में मदद मिलती है। वो अपनी खेती के बारे में और बेहतर समझ पाते हैं। मृदा यानि कृषि भूमि की सेहत और खाद के बारे में पर्याप्त जानकारी न होने के चलते किसान आम तौर पर नाइट्रोजन का अत्यधिक प्रयोग करते हैं, जो न सिर्फ कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिये खतरनाक है बल्कि इससे भूमिगत जल में नाइट्रेट की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के ज़रिये इन समस्याओं से बचा जा सकता है। और बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये खेती की जा सकती है।
इन बातों को भी जान लें –
• इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश भर के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किये जाने में राज्यों का सहयोग करना है।
• इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी आयु 40 वर्ष तक है, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना एवं नमूना परीक्षण कर सकते हैं।
• प्रयोगशाला स्थापित करने में 5 लाख रूपए तक का खर्च आता है, जिसका 75 प्रतिशत केंद्र एवं राज्य सरकार वहन करती है। स्वयं सहायता समूह, कृषक सहकारी समितियाँ, कृषक समूह या कृषक उत्पादक संगठनों के लिये भी यहीं प्रावधान है।
• योजना के तहत मृदा की स्थिति का आकलन नियमित रूप से राज्य सरकारों द्वारा हर 2 वर्ष में किया जाता है, ताकि पोषक तत्त्वों की कमी की पहचान के साथ ही सुधार लागू हो सकें।
अब कुछ आंकड़ों पर नज़र घुमाते हैं –
- इस योजना के दूसरे चरण में बीते दो वर्षों में कृषि मंत्रालय ने किसानों को 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये हैं।
- केंद्र सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण के पहले चरण (वर्ष 2015 से 2017) में 10.74 करोड़ कार्ड और दुसरे चरण (वर्ष 2017-2019) में 11.69 करोड़ कार्ड वितरित किये गए हैं।
- इन कार्डों की सहायता से किसान अपने खेतों की मृदा के बेहतर स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार के लिये पोषक तत्त्वों का उचित मात्रा में उपयोग करने के साथ ही मृदा की पोषक स्थिति की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।