Yogi vs Akhilesh : सावरकर के विचारधारा पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी की छवि राष्ट्रवादी पार्टी की है। भाजपा ने हमेशा से ही जातिवाद से खुद को दूर रखा है। हाँ, वो दूसरी बात है कि भाजपा विरोधी समय समय पर भाजपा पे जातिवाद का आरोप लगाते रहते हैं। मगर राजनीति में आरोप प्रत्यारोप का खेल तो चलता रहता है।
इस महीने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ये पांच राज्य हैं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुवा, पंजाब और मणिपुर। यूँ तो सभी राज्य के चुनाव सामान्य रूप से महत्वपूर्ण हैं मगर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर सिर्फ भारतियों की नहीं बल्कि दुनियाभर की नज़र है। ऐसा इसलिए क्योंकि योगी आदित्यनाथ को नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है। अगर योगी आदित्यनाथ 2022 में भी करिश्मा दोहराते हैं तो भाजपा में उनका कद दुगना हो जायेगा। और अगर अखिलेश मुख्यमंत्री बनते हैं तो इससे योगी की छवि को ठेस पहुँचेगी। खैर, 10 मार्च को मालूम चल ही जायेगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।
अखिलेश ने कहा हम सभी जाति के साथ हैं
अखिलेश यादव का कहना है कि उनकी पार्टी हर एक धर्म, मज़हब, जाति के लोगों के साथ न्याय करेगी। उनकी सरकार की योजनाओं का लाभ हर किसी को मिलेगा। वहीं जातिवाद के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि योगी उत्तर प्रदेश में ठाकुरवाद को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे समाजिक धुर्वीकरण फैल रहा है।
राष्ट्रवाद मेरी प्राथमिकता : योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ ने साफ़ साफ़ इस बात को दोहराया है कि उनकी प्राथमिकता राष्ट्रवाद है और सदा रहेगी। योगी का कहना है कि – हम चुनाव में राष्ट्रवाद, सुशासन और विकास के मुददे को लेकर जाते हैं। कानून का राज हमारी प्राथमिकता हैं, हर एक व्यक्ति को सुरक्षा, सबको सुरक्षा लेकिन तुष्टीकरण किसी का नहीं। सरकार सबको सुरक्षा की गारंटी देगी और मैं इस बात को बहुत गौरव के साथ कह सकता हूं कि हमारी सरकार में दंगे नहीं हुए, हमारी सरकार में कोई आतंकी घटनायें नहीं घटी, हमारी सरकार में सभी पर्व और त्योहार शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न हुए। आगे उन्होंने कहा – मेरी प्रतिबद्धता प्रदेश की 25 करोड़ जनता है, बिना भेदभाव के मुझे उनके लिए कानून का शासन स्थापित करना है और हम लोग उन लक्ष्यों को बढ़ रहें हैं। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं जो गलतफहमी के शिकार हैं, वे ही अपने आंकड़े प्रदेश में थोपने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यह चुनाव 80 बनाम 20 का होगा, 80 फीसदी समर्थक एकतरफ होगा, 20 फीसदी दूसरी तरफ होगा।