आज आपके हाथ में मोबाइल , लैपटॉप आदि तरह तरह के उपकरण क्यों न हो और पढ़ने के लिए आपको सभी चीजें क्यों न दे दें लेकिन किताबों की जगह कभी नहीं ले सकते है ।
करोना वायरस की वजह से अगले सप्ताह दिल्ली में होने वाला विश्व पुस्तक मेला भले ही टल गया हो। लेकिन किताबों की दुनिया ही अलग बसती है । एक बात आपने भी गौर की होगी की इस महामारी में किताबों ने भी अपना बहुत बड़ा रोल अदा किया है आपको आज हम अपने इस आर्टिकल के माध्यम से यह बताएंगे की किताबों ने कैसे अपना तरीका बदल दिया है मतलब आधुनिकता और तकनीक में कैसे अपने को पिरो लिया है, और कितनी बदली है, किताबों की दुनिया।
ऑडियो बुक का दौर
महामारी की मार से कोई नहीं बच पाया तो ऐसे में किताबें कैसे बच जाती, लाइब्रेरी, बुक्स शॉप , सब बन्द पड़े थे। इसलिए कई लोगों ने नए नए बुक्स संस्करण निकाल दिए । रीडिंग हैबिट और मुफ्त एप ने जमकर तहलका मचाया । जब देश बन्द था तो छपी हुई किताबों की एक लंबे समय तक अनुपलब्धता से कई ई बुक और ऑडियो बुक ने जगह ले ली, और तेजी से प्रचलन बदला ।
जहां ई बुक की बिक्री मे तेजी देखी गई तो ऑडियो बुक्स की खूब मांग हुई ।एक रिपोर्ट के अनुसार 35 वर्ष से कम उम्र के 65 प्रतिशत लोगों ने माना की प्रिंट पुस्तकें पढ़ने मे अधिक समय देना पसंद है ।वहीं 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ई बुक्स को तवज्जो दी। इसमें कोई दोहराए नहीं की इस महामारी के नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलू है । जो लोग तकनीक की दुनिया से दूर थे उन्होंने भी सीखा । इसके कारण एक नया बाजार खड़ा हुआ।
प्रिंट से ऑडियो तक जैसे पहुंची किताबें
सुकून भरी आंखों से पढ़ने वाली किताबों ने कब कानों से सुनने जाने लगी पता ही नहीं चला । महामारी के दौरान छपी हुई किताबों के लिए ऑनलाइन ऑर्डर के साथ साथ ऑडियो कंटेंट और पॉडकास्ट की मांग ने जोर पकड़ लिया । ऑडीबल, सुनो इंडिया , स्टरीटेल, लीब्रिवक्स, गूगल प्ले बुक्स , ओवर ड्राइव ये सभी की पोर्टल ने वृद्धि बताती है कि कैसे ऑडियोबुक की मांग तेजी से बाजारों में बढ रही है और साथ में अपना भविष्य भी संवार रही है ।ऑडियो बुक का बाज़ार 2020 में 4 बिलियन का था जिसके आने वाले साल 2030 तक 20 बिलियन पहुंचने की उम्मीद है । आज पॉडकास्ट ने अपनी जगह बना ली है।